Tere Mere Raste...

रास्ते बदल जाते हैं, मंजिलें बदल जाती हैं 
 क्यों नहीं बदलते दिल जो तकदीरें बदल जाती हैं
दिल वही रहता है, यादों की अनगिनत परछाईयाँ ले


 आँखों की नमी छुपाकर, नजरें बदल जाती हैं
रुह रहती है हर लम्हां अश्कबार, लब हँसते हैं
 बाहर और अंदर की किस तरह फिज़ाऐं बदल जाती हैं
कोई होता है रफ्ता-रफ्ता जिन्दगी से दूर, बहुत दूर
 हाथों की ये लकीरें क्युँ अकसर बदल जाती हैं.

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